गधा और सियार: दोस्ती और सीख 

एक समय की बात है, एक मेहनती धोबी था, जिसका एक अद्भुत गधा था। गधा प्रतिदिन धोबी के साथ घाट पर जाता, जहाँ वह गंदे कपड़ों की गठरी अपने पीठ पर उठाए रहता।

हर रोज, गधा धुले कपड़े लेकर लौटता, यह उसकी नियमित दिनचर्या थी। इस दिनचर्या में उसे कुछ मजा नहीं आता था, पर वह अपने मालिक के प्रति वफादार था। 

एक रात, गधा घूमते-घूमते एक चालाक सियार से मिला। दोनों ने एक-दूसरे से हालचाल पूछा और जल्द ही मित्र बन गए। 

खेत में ककड़ियाँ देख, दोनों ने उसे खाकर आनंद लिया और अब वे रात को वहाँ आने लगे। ककड़ियाँ इतनी मीठी थीं कि उनकी लत लग गई। 

एक चाँदनी रात, गधा चंद्रमा की खूबसूरती देखकर गाने की जिद करने लगा। सियार ने चेतावनी दी, "गधा भाई, ऐसा मत करो, रखवाला आएगा!" 

लेकिन गधा नहीं माना। उसकी आवाज सुनकर रखवाला दौड़ा और उसे पकड़ लिया। गधा डंडे से पीटा गया और रस्सी से बंध गया। 

जब गधा लज्जित होकर सियार के पास आया, तब उसने कहा, "यह मेरे अभिमान का परिणाम है।" सियार ने रस्सी काटकर उसे आजाद कर दिया। 

सीख: गर्व करने से हानि होती है, हमें विनम्र रहना चाहिए।