कैसे हुई थी कुंती की मृत्यु - महाभारत की अनसुनी कहानी
महाभारत की महत्वपूर्ण पात्र कुंती, पांडवों की माता थीं। उनकी मृत्यु का रहस्य भी उतना ही अनोखा है जितना उनका जीवन।
महाभारत के युद्ध के बाद, कुंती हस्तिनापुर में रहने लगीं, लेकिन मन की शांति नहीं मिली।
कुंती ने धृतराष्ट्र और गांधारी के साथ वनवास का रास्ता चुना, जीवन की शांति की खोज में।
वन में कुंती ने कठोर साधना की, अपने अतीत की गलतियों का प्रायश्चित करने के लिए।
एक दिन जंगल में आग लग गई। कुंती, धृतराष्ट्र, और गांधारी आग में घिर गए।
कुंती ने धैर्य और शांति से मृत्यु का सामना किया, इसे आत्मा की मुक्ति के रूप में स्वीकार किया।
कुंती की मृत्यु ने एक युग का अंत कर दिया, पांडवों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
कृष्ण ने कहा कि कुंती ने धर्म और कर्तव्य निभाते हुए मृत्यु प्राप्त की, और अब वे शांति में हैं।
Disclaimer:इस वेब स्टोरी में दी गई जानकारी महाभारत के धार्मिक और सांस्कृतिक संदर्भों पर आधारित है। लेखक इस सामग्री की सटीकता और पूर्णता के लिए जिम्मेदार नहीं है।
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