कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व 

कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन विशेष पूजा विधि का पालन किया जाता है। 

पूजा की शुरुआत स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद होती है। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा को स्नान कराया जाता है। 

पंचामृत स्नान भगवान श्रीकृष्ण को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) से स्नान कराना महत्वपूर्ण है। इसके बाद उन्हें स्वच्छ जल से धोया जाता है। 

वस्त्र और आभूषण अर्पण स्नान के बाद भगवान को नए वस्त्र और आभूषण पहनाए जाते हैं।  

भगवान का अभिषेक श्रीकृष्ण का अभिषेक घी, शहद, और दूध से किया जाता है। इसके साथ-साथ मंत्रों का उच्चारण भी किया जाता है।

भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में धूप और दीप दिखाना आवश्यक होता है। यह भगवान को शुद्ध और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।

भोग अर्पण पूजा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण को विशेष प्रसाद (माखन, मिश्री, फल) अर्पित किया जाता है। इससे भगवान प्रसन्न होते हैं। 

आरती भोग अर्पण के बाद भगवान श्रीकृष्ण की आरती की जाती है। आरती के समय शंख, घंटी, और जयकारों के साथ भगवान का गुणगान किया जाता है। 

मंत्र जाप आरती के बाद "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप किया जाता है। 

Disclaimer 

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