हनुमान द्वारा लंका का दहन रामायण की एक ऐतिहासिक घटना
लंका दहन का क्षण तब शुरू हुआ जब रावण ने सीता का अपहरण किया।
भगवान राम और लक्ष्मण ने उनकी खोज के लिए वानर सेना के साथ यात्रा शुरू की।
हनुमान ने भगवान राम के प्रति अपनी निष्ठा दिखाते हुए सागर पार किया। उनकी अद्वितीय उड़ान क्षमता ने उन्हें लंका में पहुँचने में मदद की।
लंका में हनुमान ने सीता माता को अशोक वाटिका में पाया। उन्होंने सीता जी को राम का संदेश दिया और उन्हें आश्वस्त किया।
हनुमान ने रावण को समझाने का प्रयास किया, लेकिन रावण ने हनुमान को बंदी बनाने और उनकी पूंछ को जलाने का आदेश दिया।
हनुमान ने अपनी पूंछ में आग लगने के बाद उसे लम्बा किया। उन्होंने लंका के महलों और घरों को जलाकर राख कर दिया, अधर्म का दानव रावण को चुनौती दी।
लंका का दहन केवल विध्वंस नहीं था, बल्कि धर्म की विजय का प्रतीक था। यह दिखाता है कि जब अधर्म अपने चरम पर होता है, तब सच्चाई अटल होती है।
हनुमान का साहस और भक्ति हमें प्रेरित करता है। यह कथा हमें याद दिलाती है कि धर्म और सत्य की हमेशा विजय होती है।
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