chatur siyar aur sher

बोलने वाली गुफा || Chatur Siyar aur Sher || Panchatantra

Chatur Siyar aur Sher || बोलने वाली गुफा || पंचतंत्र 

एक समय की बात है, किसी घने और विशाल जंगल में एक शक्तिशाली शेर निवास करता था। उसका नाम था “सिंहराज”। सिंहराज का शासन जंगल के सारे जीवों पर था। उसकी शक्ति और शौर्य के कारण दूसरे जानवर उससे डरते थे। हर दिन, वह जंगल में शिकार करने निकलता और अपने भोजन का प्रबंध करता।

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लेकिन एक दिन उसे भोजन के लिए कोई जानवर नहीं मिला। वह पूरे दिन घुसपैठ करता रहा, लेकिन जंगल के सभी जीव उसके सामने आने से कतराते थे। जब सूर्य अस्त होने लगा, तो सिंहराज की भूख  बर्दाश्त से बाहर हो गयी । उसकी आँखों के सामने अंधकार छाने लगा, और वह थका-हारा एक ठंडी गुफा की ओर चला गया।

गुफा अपने आप में एक रहस्य थी। यह गुफा एक चतुर सियार “चतुरलाल” की थी, जो हमेशा अपने विवेक और चालाकी के लिए जाना जाता था। चतुरलाल का ध्यान हमेशा अपने जंगली साथियों की करतूतों पर रहता था। वह शेर की ताकत से डरता था, लेकिन उसे अपनी चतुराई पर विश्वास था।

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जब सिंहराज ने गुफा में प्रवेश किया, तो उसने गुफा के अंदर अंधेरे में अपने चारों ओर देखा। वह सोच रहा था कि आज रात कोई जीव अवश्य आएगा और उसके हाथों में स्वादिष्ट भोजन आएगा। यह उसकी भूख को मिटाने का सुनहरा मौका था।

गुफा का अंदर का दृश्य अंधकारमय था। सिंहराज ने सोचा कि यहाँ उसका समय बिताना ठीक रहेगा। वह गुफा के एक कोने में बैठकर इंतज़ार करने लगा।

रात हुई और चतुरलाल अपनी गुफा की ओर लौट रहा था। उसने गुफा के दरवाजे पर चुपचाप शेर के पैरों के निशान देखे। जब उसने ध्यान से देखा, तो उसे पता चला कि शेर अंदर गया है, लेकिन बाहर नहीं आया। चतुरलाल का दिल धड़कने लगा। वह समझ गया कि उसकी गुफा में एक हानिकारक शिकारी छिपा हुआ है।

हालांकि, चतुरलाल ने भयभीत होने के बजाय, अपने मन में एक योजना बनाई। “अगर मैं सीधे गुफा में गया, तो शेर मुझे मार देगा। मुझे अपनी चतुराई का इस्तेमाल करना होगा,” उसने सोचा।

चतुरलाल ने एक जोखिम भरी योजना बनाई। उसने गुफा के दरवाजे से आवाज लगाई, “ओ मेरी प्यारी गुफा! तुम आज इतनी चुप क्यों हो? जब मैं दिन में बाहर जाता हूँ, तो तुम मुझे हमेशा बुलाती हो। आज तुम्हें क्या हुआ है?”

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गुफा में बैठे सिंहराज ने आवाज सुनी। उसका दिल थोड़ा धड़क गया। “क्या गुफा सच में मुझसे डर रही है?” उसने सोचा। इसके बाद, शेर ने गुफा के अंदर से उत्तर दिया, “आ जाओ, मेरे मित्र! अंदर आ जाओ।”

चतुरलाल ने तुरंत समझ लिया कि शेर  क्या सोच रहा है। चतुरलाल ने अपनी चतुराई से बचने का निश्चय किया और दौड़कर वहाँ से भाग गया।

चतुरलाल ने गुफा से भागते हुए सोचा, “मैंने आज अपनी जान बचा ली। अगर मैं सीधे शेर से मिलता, तो मेरी कहानी यहीं खत्म हो जाती। लेकिन अब मुझे ध्यान रखना होगा। मुझे अपने दोस्तों और अन्य जानवरों को इस खतरे के बारे में बताना पड़ेगा।”

वह जंगल में लौट आया और सभी जानवरों को इकट्ठा किया। उन्होंने सबको बताया कि शेर उनकी गुफा में जा चुका था। “हमें सावधान रहना होगा,” चतुरलाल ने कहा। “इस जंगल में आज से हमें एकजुट होकर चलना होगा। नहीं तो सिंहराज हमें एक-एक करके मार डालेगा।”

सभी जानवर इस बात से सहमत हुए और एक योजना बनाने लगे। उन्होंने तय किया कि वे सभी एक साथ रहें और शेर के खिलाफ एक-दूसरे का समर्थन करेंगे।

उन दिनों में, जानवरों ने ताकतवर शेर के खिलाफ संगठित होने का निर्णय किया। बड़े-मोटे हाथी, ऊँचे जिराफ़, तेज दौड़ने वाले चीते और चतुर सियार एक साथ मिलकर शेर का सामना करने की योजना बनाने लगे।

वे एक जगह इकट्ठा हुए और अपने-अपने विचार व्यक्त किए। हाथी ने कहा, “हमारे पास ताकत है। हम एक साथ मिलकर शेर का सामना कर सकते हैं।”

चीते ने कहा, “लेकिन हमें योजना बनानी होगी। हमें एकजुट होकर उसके खिलाफ लड़ना होगा।”

चतुरलाल ने कहा, “हमें पता होना चाहिए कि शेर का सबसे बड़ा दुश्मन उसका अहंकार है। अगर हम इसे खेल में लाते हैं, तो संभव है कि हम उसे मात दे सकें।”

जानवरों ने अपनी योजना को विकसित करना शुरू कर दिया। चतुरलाल ने एक योजना बनाई जिसमें वे एक किस्म के जाल का इस्तेमाल करेंगे। जाल को इस तरह से तैयार किया जाएगा कि जब शेर उसे काटने की कोशिश करेगा, तब वह उसमें फंस जाएगा।

इस योजना ने सभी को उत्साहित किया। सभी जानवर सावधानी से काम करने लगे। वे जाल बनाने के लिए एक जगह गए और उसे पूरी तैयारी के साथ तैयार किया। हाथी ने अपने बड़े पैर से जगह खोदी, जबकि चतुरलाल ने अपनी चतुराई से उसे सही आकार दिया।

कुछ दिनों बाद, जब सब कुछ तैयार हो गया, तो उन्होंने शेर को एक जगह पर लाने का निर्णय लिया। चतुरलाल ने एक चाल चली। वह शेर के पास जाकर बोला, “हे सिंहराज! तुम तो सबसे ताकतवर हो। क्या तुमने सुना है कि जंगल में एक और शेर आया है? वह तुमसे ज्यादा शक्तिशाली है!”

सिंहराज ने उसकी बात सुनी और उसका अहंकार उसे मजबूर करने लगा। “क्या? कोई और शेर?” उसने कहा। “मुझे उसे छोड़ना नहीं चाहिए। मैं उसे दिखाऊंगा कि मैं जंगल का राजा हूँ।”

सिंहराज ने चतुरलाल से पूछा कि वह उसे उस शेर से मिलाए। चतुरलाल ने शेर का ध्यान खींचने के लिए बात की। उसने कहा, “बिलकुल, मैं तुम्हें उस नए शेर से मिलवाऊंगा, लेकिन पहले तुम्हें एक जगह आना होगा।”

सिंहराज ने उत्साह से कहा, “मैं तुम्हारे साथ आता हूँ। मुझे उस नए शेर को तुरंत देखना है।”

जब सिंहराज उस जगह पहुँचा, तो वह देखता है कि वहाँ सब जानवर इकट्ठा हैं। उन्होंने उसे इशारा किया कि जाल को देखो। जैसे ही सिंहराज जाल की तरफ बढ़ता है, वह उसमें फंस जाता है।

सिंहराज ने सोचा, “यह क्या हुआ? मैं कैसे फंस गया?” उसने जाल के भीतर से बाहर निकलने की बहुत कोशिश की। लेकिन जितना उसने कोशिश की, जाल उतना ही मजबूत होता गया। जानवर उसकी सुरक्षा के लिए बाहर खड़े रहे और उसे देख रहे थे।

इस स्थिति में, चतुरलाल ने कहा, “हे सिंहराज! क्या तुम अब भी नहीं समझते कि तुम्हारे अहंकार ने तुम्हें यहाँ पहुँचाया है? तुमने हमें डराने का प्रयास किया, लेकिन आज हम एकजुट हुए हैं।”

सिंहराज ने गुस्से से कहा, “तुम सभी ने मुझे धोखा दिया है! मैं तुम्हें सबको खत्म कर दूंगा!” लेकिन उसकी आवाज़ अब डराने वाली नहीं रही।

सभी जानवर उसकी बातें सुनते रहे, लेकिन चतुरलाल ने फिर से कहा, “हम तुम्हें कुछ नहीं करेंगे। तुम्हारे अहंकार को काबू करने के लिए हम यह कर रहे हैं। यदि तुम सच्चे राजा हो, तो तुम्हें हमारी सुरक्षा का सम्मान करना होगा। हमें एकजुट होकर रहना होगा।”

सिंहराज ने समझा कि यह समय अपनी शक्ति को साबित करने का नहीं बल्कि एक समझौता करने का है। उसने सिर झुकाया और कहा, “मुझे माफ कर दो। मुझे अब अपनी गलती का एहसास हुआ है। मैं आप सभी के साथ मिलकर रहने का वादा करता हूँ।”

सभी जानवरों ने हैरानी भरी आँखों से एक-दूसरे को देखा। सियार ने आगे बढ़कर कहा, “अगर तुम सच में हमें अपना मित्र मानते हो, तो हमें एक नए समझौते की आवश्यकता है। हम सभी एक साथ चलेंगे और एक-दूसरे की रक्षा करेंगे।”

सिंहराज ने उस प्रस्ताव को स्वीकार किया। उसने कहा, “मैं अब से सभी के साथ हूँ। हम एक परिवार के रूप में रहेंगे।”

इस घटना के बाद, जंगल में एक नई शुरुआत हुई। सभी जानवर एकजुट हो गए और मिलकर रहने लगे। सिंहराज ने समझ लिया कि वास्तविक शक्ति अकेले में नहीं, बल्कि एकजुट होने में है।

चतुरलाल ने भी अपनी चतुराई से सबको संदेह से बाहर निकाला और एक नई सामाजिक व्यवस्था की ओर बढ़ने में मदद की।

कुछ समय बाद, जंगल में एक नई पहचान बन गई। सभी जीव एक-दूसरे के प्रति सम्मान और सहयोग का भाव रखने लगे। सिंहराज और चतुरलाल के बीच एक अनोखा बंधन बन गया। सियार ने अपनी चतुराई और शेर ने अपनी ताकत से सबका दिल जीत लिया।

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सभी जानवर एक-दूसरे की मदद करने लगे। बड़े हाथी छोटे जानवरों की रक्षा करते, जबकि चतुर सियार शेर की सलाह देने लगा। इस तरह, जंगल का माहौल बदल गया।

इस घटना ने सभी को यह सिखाया कि जब हम एकजुट होते हैं, तब हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।

कहानी से सीख

इस तरह, चतुर सियार और शेर ( बोलने वाली गुफा ) की कहानी सिर्फ एक संघर्ष नहीं, बल्कि एक सीख भी है कि बुद्धिमत्ता, संयम और सहयोग से जीवन की सभी बाधाओं को पार किया जा सकता है। जीवन में सभी के लिए एक-दूसरे का सम्मान और सहयोग होना जरूरी है।

इस कहानी ने सभी जीवों को सिखाया कि राक्षसी शक्ति के सामने असली शक्ति एकता में है, और बुद्धिमत्ता से ही हम अपने दुश्मनों को भी साथी बना सकते हैं।

निष्कर्ष

इस प्रकार, चतुर सियार और सिंहराज की कहानी में निहित सीख और शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं। जंगल के सभी जीवों ने एक-दूसरे के साथ मिलकर न केवल अपने अस्तित्व की सुरक्षा की, बल्कि एक नए जीवन की शुरुआत भी की।

इस प्रकार, जंगल में फिर से शांति और संतुलन स्थापित हुआ, और सभी जीव खुशी-खुशी अपनी जिंदगी बिताने लगे।

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