Shri Hanuman Chalisa
Shri Hanuman Chalisa एक ऐसा माध्यम है जो हमें भगवान हनुमान की अद्वितीय भक्ति और शक्ति का अनुभव कराता है। यह ग्रंथ हमें उनके वीरता और समर्पण का संदेश देता है।
हनुमानजी का वर्णन
- वीर हनुमान: हनुमानजी को भगवान श्री राम के सबसे विश्वसनीय भक्त के रूप में जाना जाता है। उनकी वीरता और शक्ति की कहानियां हमें प्रेरित करती हैं।
- भक्ति का प्रतीक: हनुमानजी को भक्ति का प्रतीक माना जाता है। उनकी अनवरत भक्ति और समर्पण ने उन्हें राम भक्त हनुमान का नाम दिया है ।
Shri Hanuman Chalisa का महत्व
- भक्ति से परिपूर्ण: श्री हनुमान चालीसा पूरे भक्ति और विश्वास से भरी हुई है। इसका पाठ करने से हमारा मन और आत्मा शांति प्राप्त करते हैं।
- शक्ति प्रदान: चालीसा के पाठ से हनुमानजी हमें अद्भुत शक्तियां प्रदान करते हैं, जो हमें हर मुश्किल से निकलने में सहायक होती हैं।
Shri Hanuman Chalisa
श्रीगुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि। बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार।बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेस विकार॥
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।जय कपीश तिहुं लोक उजागर॥
रामदूत अतुलित बल धामा।अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥
महावीर विक्रम भजरंगी।कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।कानन कुंडल कुंचित केशा॥
हाथ बज्र औ ध्वजा विराजै।कांधे मूंज जनेऊ साजै॥
शंकर सुवन केसरी नंदन।तेज प्रताप महाजग वंदन॥
विद्यावान गुनी अति चातुर।राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर संहारे।रामचंद्र के काज सवारे॥
लाय संजीवन लखन जियाये।श्रीरघुवीर हरषि उर लाये॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
सहस बदन तुम्हरो यश गावैं।अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।नारद सारद सहित अहीसा॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा।राम मिलाय राज पद दीन्हा॥
तुम्हरो मंत्र विभीषण माना।लंकेश्वर भए सब जग जाना॥
जुग सहस्र जोजन पर भानू।लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही।जलधि लांघि गये अचरज नाही॥
दुर्गम काज जगत के जेते।सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
राम दुआरे तुम रखवारे।होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहैं तुम्हारी शरणा।तुम रक्षक काहू को डर ना॥
आपन तेज सम्हारो आपै।तीनों लोक हाँक तें काँपै॥
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।महाबीर जब नाम सुनावै॥
नासै रोग हरै सब पीरा।जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै।मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
सब पर राम तपस्वी राजा।तिनके काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै।सोइ अमित जीवन फल पावै॥
चारों युग परताप तुम्हारा।है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु संत के तुम रखवारे।असुर निकंदन राम दुलारे॥
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता।अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरे भजन राम को पावै।जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अंतकाल रघुबर पुर जाई।जहां जन्म हरिभक्त कहाई॥
और देवता चित्त न धरई।हनुमान्त सेई सर्व सुख करहीं॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।जो सुमिरै हनुमत बलवीरा॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं।कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
जो शत बार पाठ कर कोई।छूटहि बंदि महा सुख होई॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।कीजै नाथ हृदय महं डेरा॥
पवन तनय संकट हरण मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
Shri Hanuman Chalisa का पाठ कैसे करें और पाठ के दौरान क्या करें
हनुमान चालीसा का पाठ करना हमारे जीवन में ऊर्जा, शक्ति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति में मदद कर सकता है। यह चालीसा भगवान हनुमान की महिमा और उनके शक्तिशाली गुणों की प्रशंसा करती है।
पाठ कैसे करें:
- सबसे पहले, एक शुद्ध और पवित्र स्थान चुनें जहाँ आप बिना किसी अव्यवस्था के बैठ सकें।
- चालीसा का पाठ करने से पहले, अपने मन को शुद्ध करें और भगवान हनुमान के दर्शन की कामना करें।
- चालीसा को ध्यान से पढ़ें, ध्यान दें कि हर शब्द का आपके मन और आत्मा में स्थान हो।
- पाठ के दौरान शुद्धता और विश्वास के साथ हनुमान जी को स्मरण करें।
- चालीसा के पाठ के बाद, हनुमान जी की आराधना करें और उनके चरणों में अपनी भक्ति व्यक्त करें।
पाठ के दौरान क्या करें:
- ध्यान से चालीसा का पाठ करें, शब्दों को समझते हुए उच्चारण करें।
- मन में भगवान हनुमान की मूर्ति या चित्र का ध्यान रखें।
- पाठ के दौरान एकाग्रचित्त रहें ।
- चालीसा के पाठ के बाद, अपने मन में आत्मविश्वास और सकारात्मकता का संचार करें।
- पाठ के बाद, हनुमान जी की आरती करके पूजा का समापन करें ।
समापन:
Shri Hanuman Chalisa का पाठ करने से हमारे मन को शांति, ऊर्जा और संतुलन मिलता है। इस पाठ को नियमित रूप से करने से हमारा जीवन समृद्धि से भर जाता है और हम भगवान हनुमान के कृपा में रहते हैं। इसलिए, हनुमान चालीसा का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए और इसकी महिमा को अपने जीवन में स्थान देना चाहिए।
सिया वर राम चंद्र की जय, पवनसुत हनुमान की जय
जय बजरंग बली।