panchmukhi hanuman

Story of Panchmukhi Hanuman: A Tale of Courage and Devotion||हनुमान जी ने पंचमुखी रूप कैसे और क्यों धारण किया?? Panchmukhi Hanuman|| Bajrangbali || Pawanputra

हनुमान जी ने पंचमुखी रूप (Panchmukhi Hanuman) कैसे धारण किया?

हनुमान जी, जिन्हें बजरंगबली के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय पौराणिक कथाओं के सबसे प्रसिद्ध और पूजनीय देवताओं में से एक हैं। उनकी अद्भुत शक्तियों और भक्ति के अनेक किस्से हैं, जिनमें से एक है उनका पंचमुखी रूप (Panchmukhi Hanuman) धारण करना। इस लेख में हम जानेंगे कि हनुमान जी ने पंचमुखी रूप कैसे धारण किया और इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है।

Panchmukhi Hanuman जी की कथा

हनुमान जी का पंचमुखी रूप धारण करने की कथा अत्यंत रोचक और प्रेरणादायक है। यह प्रसंग रामायण के बाद घटित हुआ और यह लंका विजय के समय की बात है, जब रावण के भाई अहिरावण ने राम और लक्ष्मण को बंदी बना लिया था।अहिरावण रावण के पुत्र थे या भाई इस विषय में मतभेद है ।

आइए, इस महत्वपूर्ण कथा का विस्तार से वर्णन करते हैं।

अहिरावण का षड्यंत्र

रावण के भाई  अहिरावण ने, जो पातळ लोक का राजा एक  शक्तिशाली मायावी और तांत्रिक था, राम और लक्ष्मण को बंदी बनाने का षड्यंत्र रचा। उसने अपनी मायावी शक्तियों का उपयोग करके उन्हें एक गुप्त सुरंग के माध्यम से पाताल लोक ले गया। अहिरावण रावण की मदद करने के लिए ऐसा करता है क्यूंकि, राम जी और लक्ष्मण जी रावण पर भारी  पड़ रहे थे और रावण को लगा की वो हार जायेगा ।

हनुमान जी का पाताल लोक गमन

जब हनुमान जी को यह पता चला कि राम और लक्ष्मण को अहिरावण ने बंदी बना लिया है और पाताल लोक ले गया है, तो वे तुरंत उनकी सहायता के लिए निकल पड़े। अपनी अद्वितीय शक्तियों और भक्ति के बल पर हनुमान जी पाताल लोक पहुँच गए।

मकरध्वज की कहानी

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पाताल लोक जाने के दौरान हनुमान जी की मुलाकात मकरध्वज नामक एक शक्तिशाली योद्धा से हुई, जो पाताल लोक का द्वारपाल था। मकरध्वज ने हनुमान जी को द्वार पार करने से रोका और एक भीषण युद्ध हुआ। हनुमान जी ने मकरध्वज की अद्भुत शक्ति और साहस को देखकर पूछा कि वह कौन है?

मकरध्वज ने बताया कि वह हनुमान जी का पुत्र है। यह सुनकर हनुमान जी चकित हो गए। मकरध्वज ने बताया कि जब हनुमान जी ने लंका दहन के समय समुद्र में छलांग लगाई थी, तब उनके शरीर के पसीने की एक बूंद समुद्र में गिर गई थी। उसी बूंद से मकरध्वज का जन्म हुआ था। मकरध्वज का पालन-पोषण मछलियों द्वारा किया गया था और बाद में अहिरावण ने उसे पाताल लोक का द्वारपाल नियुक्त किया था।

हनुमान जी ने मकरध्वज की सच्चाई जानने के बाद उसे अपनी पहचान बताई और उसे गले लगाया। इसके बाद, मकरध्वज ने हनुमान जी की मदद की और उन्हें अहिरावण के पास पहुँचने का मार्ग दिखाया।

पाँच दीयों का रहस्य

हनुमान जी को एक गुप्त जानकारी मिली कि अहिरावण को मारने के लिए उसकी जीवन शक्ति से जुड़े पाँच दीयों को एक साथ बुझाना होगा। ये पाँच दीये पाताल लोक के पाँच अलग-अलग दिशाओं में स्थित थे और सभी को एक साथ बुझाना अत्यंत कठिन कार्य था।

पंचमुखी रूप धारण

इस कठिनाई का समाधान निकालने के लिए हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण करने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने पाँचों मुखों को एक साथ सक्रिय किया ताकि सभी पाँच दीयों को एक साथ बुझाया जा सके।

ये पाँच मुख थे:

  1. पूर्व मुख: हनुमान जी का सामान्य मुख।
  2. पश्चिम मुख: गरुड़ का मुख, जो विष और संकट को हरने वाला है।
  3. उत्तर मुख: वराह का मुख, जो धरती और प्रगति का प्रतीक है।
  4. दक्षिण मुख: नरसिंह का मुख, जो राक्षसों का संहार करने वाला है।
  5. ऊपर मुख: हयग्रीव का मुख, जो ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक है।

इन पाँचों मुखों के संयुक्त प्रयास से हनुमान जी (Panchmukhi Hanuman) ने एक ही समय में पाँचों दीयों को बुझा दिया और अहिरावण का अंत कर दिया। इस कारण हनुमान जी Panchmukhi Hanuman कहलाये।

राम जी और लक्ष्मण जी की मुक्ति

हनुमान जी (Panchmukhi Hanuman) की इस अद्वितीय कार्यवाही के परिणामस्वरूप, राम और लक्ष्मण मुक्त हो गए। उन्होंने अहिरावण का वध कर दिया और उन्हें सुरक्षित लंका वापस ले आए। इस प्रकार, हनुमान जी ने न केवल राम और लक्ष्मण को बचाया, बल्कि अपने भक्तों को यह सिखाया कि किसी भी कठिनाई का समाधान दृढ़ संकल्प और सामर्थ्य के साथ किया जा सकता है।

पंचमुखी हनुमान जी की महिमा

पंचमुखी हनुमान (Panchmukhi Hanuman) का यह रूप उनके अद्वितीय साहस, भक्ति और शक्ति का प्रतीक है। यह रूप हमें यह सिखाता है कि किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए हमें अपनी सम्पूर्ण क्षमताओं का उपयोग करना चाहिए। पंचमुखी हनुमान का पूजन करने से भक्तों को विशेष शक्ति और सुरक्षा प्राप्त होती है।

हनुमान जी के पंचमुखी रूप की कथा और मकरध्वज की कहानी हमें यह प्रेरणा देती है कि किसी भी कठिनाई का सामना धैर्य, साहस और दृढ़ संकल्प के साथ करना चाहिए। हनुमान जी  (Panchmukhi Hanuman) के इस अद्वितीय रूप की पूजा आज भी पूरे भारत में भक्तों द्वारा की जाती है और इसे अपार शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है।

हनुमान जी के पंचमुखी रूप की पूजा और मकरध्वज से उनकी भेंट की कथा हमें यह भी सिखाती है कि जब भी हम अपने जीवन में किसी कठिनाई का सामना करें, हमें विश्वास और समर्पण के साथ अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रयास करना चाहिए।

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