Murkh Gadha aur Siyar ki Kahani

मूर्ख गधा और चतुर सियार || Gadha aur Siyar ki Kahani || Panchatantra

मित्रभेद || Mitrabheda : Murkh Gadha aur Siyar ki Kahani

एक समय की बात है, एक धोबी था और उसके पास एक गधा था। गधा प्रतिदिन धोबी के साथ गंदे कपड़ों की गठरी लेकर घाट पर जाता था और रात को धुले कपड़ों का ढेर लेकर लौटता था। यही उसकी रोजमर्रा की दिनचर्या थी। रात का समय आता, तो धोबी उसे चरने के लिए खुला छोड़ देता था, सुबह होते ही गधा वापस धोबी के पास आ जाता था।

एक रात, गधा घूमता-फिरता एक सियार से मिला। दोनों के बीच बातचीत हुई, जिसमें उन्होंने एक-दूसरे का हाल चाल पूछकर मित्रता कर ली। बातचीत करते-करते, वे एक खेत में पहुंचे, जहाँ ककड़ियाँ उगी थीं। दोनों ने ककड़ियाँ खाईं और स्वादिष्टता का आनंद लिया।

ककड़ियाँ इतनी मीठी लगीं कि वे दोनों रात के समय वहां रोज आने  लगे और जी भरकर ककड़ियाँ खाने लगे। धीरे-धीरे, ककड़ियों के प्रति उनकी लत सी लग गई। अब वे बिना ककड़ियाँ खाए चैन से नहीं बैठते थे।

कुछ महीनों बाद, एक चाँदनी रात थी। आकाश में चंद्रमा चमक रहा था और गधा और सियार अपने सामान्य नियम के तहत खेत में ककड़ियाँ खाने पहुंचे।

Gadha aur Siyar

ककड़ियाँ खाने के बाद गधे ने कहा, “क्या खूबसूरत रात है! चंद्रमा कितना सुन्दर लग रहा है। मेरा मन गाने का कर रहा है।”

सियार ने चेतावनी दी, “गधा भाई, ऐसा मत करो। अगर तुम गाओगे तो खेत का रखवाला दौड़कर आएगा और हमें बहुत  पीटेगा।” लेकिन गधे को अपने सुरीले स्वर पर गर्व था। उसने जवाब दिया, “मैं क्यों नहीं गाऊँ? तुम मुझे रोकने की कोशिश कर रहे हो क्योंकि तुम खुद गा नहीं सकते। मैं गाऊंगा, और ज़रूर गाऊंगा।”

सियार ने फिर समझाया, “तुम्हारा गाना सुनकर रखवाला खुश नहीं होगा। वो डंडा लेकर तुम्हारी ओर दौड़ पड़ेगा।” लेकिन गधा अपनी बात पर अडिग रहा। सियार ने कहा, “ठीक है, पहले मुझे खेत से बाहर जाने दो, फिर तुम गाना गाना।” सियार खेत से बाहर भाग गया।

गधा अपनी धुन में गाने लगा। उसकी आवाज सुनकर खेत का रखवाला दौड़ा। उसने गधे को पकड़ा और उसे जमकर पीटा। गधा घायल होकर गिर पड़ा और रखवाले ने उसे रस्सी से बाँध दिया।

जब गधे को होश आया, तो वह लंगड़ाता हुआ सियार के पास आया। सियार ने मजाक करते हुए पूछा, “गधा भाई, तुम्हारे गले में यह रस्सी क्या है? क्या यह तुम्हारे सुरीले गाने का इनाम है?” गधा लज्जित होकर सिर झुकाते हुए बोला, “अब मुझे और शर्मिंदा मत करो। यही है झूठे अभिमान का परिणाम। मुझे इस रस्सी से बचाओ।”

सियार ने रस्सी काटकर गधे को आज़ाद कर दिया। गधा और सियार फिर से मित्र बन गए, लेकिन गधे ने कभी अनुचित समय पर गाने की गलती नहीं की।

शिक्षा:

1.मूर्खता का साथ न दें।

यह शिक्षा हमें यह सिखाती है कि हमें हमेशा उन लोगों से दूरी बनानी चाहिए जो अपने अभिमान या मूर्खता के कारण गलत निर्णय लेते हैं। मूर्खता का समर्थन करने से न केवल हम खुद को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि हमारी प्रगति भी रुक जाती है। यदि हम किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रहते हैं जो समझदारी से विचार नहीं करता, तो हम भी उनकी तरह पिछड़ सकते हैं। संतुलित और समझदारी से भरा संग-साथ हमेशा बेहतर परिणाम लाता है।

2.गर्व करने वालों को अंततः हानि उठानी पड़ती है।

यह वाक्य हमें बताता है कि जो लोग अपनी क्षमताओं से अत्यधिक गर्वित होते हैं, वे अनजाने में गलतियों की ओर बढ़ते हैं। ऐसे लोग अक्सर अपने आत्म-मूल्यांकन में भटक जाते हैं और अपने आसपास की चेतावनियों को अनसुना कर देते हैं। जैसे गधा गर्व से गाने लगा, उसने अपने द्वारा उठाए गए जोखिम को नहीं समझा और उसे नकारात्मक परिणाम का सामना करना पड़ा। इसलिए, हमें हमेशा विनम्र रहना चाहिए और अपनी सीमाओं को जानना चाहिए, ताकि हम नुकसान से बच सकें।

3.बोलने से पहले सही समय का विचार करें।

यह शिक्षा इस बात पर जोर देती है कि हमें अपनी बात सोच-समझकर कहनी चाहिए। कभी-कभी, समय और स्थान का सही चुनाव अधिक महत्वपूर्ण होता है। गधा, जो गाना गाने पर आमादा था, ने सियार की सलाह को अनसुना कर दिया और गलत समय पर अपनी बात रखी, जिसके कारण उसे दंडित होना पड़ा। इसलिए, हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि जब हम कुछ कहते हैं या करते हैं, तो उसके प्रभाव और परिणाम का आकलन भी करें। सही समय पर सही बातें करने से कई समस्याओं से बचा जा सकता है।

इन सीखों के माध्यम से, पंचतंत्र की यह कहानी न केवल मनोरंजन करती है, बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण पाठ भी सिखाती है।

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