Batuni kachua

पंचतंत्र: मुर्ख बातूनी कछुआ की कहानी || Mitrabheda ||Panchtantra Stories|| Murkh Batuni Kachua 

मित्रभेद || Mitrabheda||

Panchatantra se Murkh Batuni Kachua||

बातूनी कछुआ की कहानी

एक सुन्दर बगीचे के बीच एक एक तालाब था, जिसे उसके चारों ओर छाए हरे-भरे पेड़ों और रंग-बिरंगे फूलों के कारण “सुखदायी तालाब” कहा जाता था। इस तालाब में कई जीव-जंतु रहते थे, लेकिन सबसे खास था कछुआ।

कछुआ के दो हंस अच्छे दोस्त थे। ये दोनों हंस न केवल उसकी मित्रता के लिए जाने जाते थे बल्कि उसकी बुद्धिमानी के लिए भी प्रसिद्ध थे। तालाब के किनारे पर एक साथ बैठकर वे घंटों बातचीत करते थे ।

एक दिन, एक हंस  ने कहा, ” कछुए , तुम तो हमेशा अपने ज्ञान की बातें करते हो। क्या तुमने कभी सोचा है, क्या हम तीनों हमेशा इसी तालाब के चारों ओर रहेंगे?”

कछुआ मुस्कुराया और उसने मुस्कराते हुए कहा, “दोस्तों, यह तालाब हमें बहुत प्यारा है और ऐसा इसलिए  है क्योंकि यह हमें जोड़ता है। लेकिन हमें हमेशा नए अनुभवों की तलाश में रहना चाहिए, और बदलाव के लिए भी तैयार रहना चाहिए ।”

एक साल ऐसा आया जब बारिश ने अपना मुँह बंद कर लिया। आसमान में बादल तो थे, लेकिन बरसात की एक बूँद भी नहीं गिरी। तालाब का पानी धीरे-धीरे कम होने लगा। दिन- प्रतिदिन कम होते पानी को देखकर कछुआ और उसके दोस्तों की चिंता बढ़ने लगी।

एक शाम, जब पानी की मात्रा बहुत कम रह गई, हंसों ने कछुए के पास आकर कहा, ” कछुए , हमें चिंता होने लगी है। इस तालाब का पानी खत्म हो रहा है। यदि बारिश नहीं हुई, तो हम सभी को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा, अगर पानी एकदम ख़तम हो गया तो हम कैसे रहेंगे ?”

Batuni Kachua ने कहा, “चिंता करने की बात तो मेरे लिए है तुम दोनों तो उड़ कर अपना नया घर ढूंढ लोगे और मैं यहाँ अकेला पड़े-पड़े मर जाऊंगा।”

हंसो ने कछुए को यकीन दिलाया की वो उसे अकेला छोड़ कर नहीं जायेंगे , वे दोनों नए ठिकाने की तलाश में रोज दूर दूर तक उड़ान भरते थे , एक दिन दोनों हंसो ने ख़ुशी ख़ुशी आकर कछुए को बताया की “उन्हें एक तालाब मिल गया है जहाँ बहुत पानी है , परन्तु वो यहाँ से 50 कोस दूर है।”

Batuni Kachua फिर निराश हो कर बोला, ” मुझे वहां तक पहुँचने में तो सालों लग जायेंगे ?”

हंसो  ने आगे कहा, ” हमको वहां कैसे पहुंचना है , इसका भी एक उपाय है। हम दोनों तुम्हे लकड़ी के एक टुकड़े से लटकाकर ले चलेंगे ,हमें सावधानी से उड़ान भरनी होगी।”

हंसो ने कछुए से कहा, “लेकिन तुम्हें अपने मुंह को बंद रखना होगा। उड़ान के दौरान यदि तुमने अपना मुंह खोला , तो हमारी योजना बेकार हो जाएगी।”

कछुए ने विश्वास दिलाया, “मैं अपने वादे पर कायम रहूँगा। मैं हर हालत में अपना मुंह बंद रखूँगा।”

जैसे ही दिन ढलने लगा, हंसों ने कछुए के लिए एक मजबूत लकड़ी का टुकड़ा ढूँढा। कछुए ने अपने दांतों से लकड़ी को पकड़ा और दोनों हंस उसे लटकाकर उड़ने लगे। वे आकाश में उड़ते गए, और कछुए ने अपने दिल में एक नई उमंग और उम्मीद महसूस की। उड़ते हुए कछुआ नीचे के सुन्दर नज़ारे देखते हुए जा रहा था, आकाश में उड़ने का यह उसका पहला अनुभव था ।

उड़ान के दौरान, उन्होंने कई खूबसूरत दृश्य देखे—पेड़ों की हरी चादर, बहती हुई नदी, और आसमान में उड़ते हुए अन्य जीव। यह सब कछुए के लिए एक नई दुनिया थी। उसने कभी इस तरह की खूबसूरती नहीं देखी थी। हालांकि, हंसों ने उसे बार-बार याद दिलाया, “कछुए , ध्यान रखना, मुंह बंद रखना है।”

लेकिन जैसे ही उन्होंने एक बड़े नगर के ऊपर उड़ान भरी, वहाँ के लोगों ने हंसों को और उड़ते हुए कछुए को देखा। नगरवासियों ने हैरान होकर चिल्लाना शुरू कर दिया, ” देखो! एक कछुआ आकाश में उड़ रहा है!”

कछुए ने चिल्लाते हुए लोगों को सुनते ही अपने मन पर नियंत्रण खो दिया। उसकी उत्सुकता बढ़ गई, और उसने अपने मुंह खोला। वह बोला, “यह तो अद्भुत है! मैं सच में आकाश में उड़ रहा हूँ!”

जैसे ही उसने अपना मुंह खोला, वह अपनी पकड़ खो चुका था। उसकी उड़ान का संतुलन बिगड़ गया और वह ऊँचाई से सीधे गिर पड़ा।

गिरने की आवाज सुनकर दोनों हंस  चिंतित हो गए। उन्होंने तुरंत नीचे देखने की कोशिश की, लेकिन कछुआ गिर चुका था। ऊँचाई इतनी अधिक थी कि उसकी चोटें गंभीर थीं, और वह अपने प्राणों से चला गया।

उसकी मौत ने हंसो को गहरा सदमा दिया। उन्होंने सोचा, “हमने अपनी मित्रता को सुरक्षित रखा, लेकिन कछुए की चंचलता ने उसे बर्बाद कर दिया।”

सीख:

सच्ची बुद्धिमानी तब होती है जब हम अपनी चंचलता और उत्सुकता पर काबू रख सकें।

इस कहानी ने न केवल हंसों को बल्कि सभी तालाब के जीव-जंतुओं को यह सिखाया कि:

  1. समझदारी: बुद्धिमान व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने शब्दों और कृत्यों पर ध्यान दे।
  2. साबधानी: किसी भी चुनौती का सामना करने से पहले सोच-समझकर कदम उठाना आवश्यक है।
  3. स्वयं पर नियंत्रण: अपनी चंचलता पर नियंत्रण पाना ही सच्ची समझदारी है।

इस प्रकार, पंचतंत्र की कहानी ” मुर्ख बातूनी कछुआ” “Batuni Kachua” हमें सिखाती है कि जीवन में धैर्य, सावधानी और आत्म-नियंत्रण कितना महत्वपूर्ण है।

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