dhobi aur budhiman gadha panchatantra

धोबी और बुद्धिमान गधा भोला || मित्रभेद || Mitrabheda

पंचतंत्र: धोबी और उसका बुद्धिमान गधा || Budhiman  Gadha

एक छोटे से गाँव में, जहां हरियाली चारों ओर बिखरी हुई थी और इंसानियत की खुशबू फैली हुई थी, वहाँ एक साधारण धोबी रहता था। उसका नाम रामू था। रामू एक मेहनती व्यक्ति था, जो अपनी रोजी-रोटी के लिए पूरे दिन मेहनत करता था। उसकी मेहनत का सहारा उसका मुस्कुराता, विश्वासयोग्य गधा था, जिसे गाँव में सभी “भोला” के नाम से जानते थे। भोला अब वृद्ध हो गया था और उसी तरह रामू भी अपने जीवन के अंतिम चरणों में पहुँच चुका था।

गाँव और उसकी खूबसूरती

गाँव का माहौल हमेशा जीवंत रहता था। सुबह-सवेरे पक्षियों की चहचहाहट और खेतों में हल चलाते किसानों की आवाज़ें सन्नाटे को तोड़ती थीं। गाँव के केंद्र में एक तालाब था, जिसमें लोग गर्मियों में तैरने आते थे। चारों तरफ पेड़ थे, जिनकी छाया में बच्चे खेलते थे और बड़े आराम से अपनी दिनचर्या का आनंद लेते थे। लेकिन रामू और भोला की दुनिया कुछ अलग थी। उनका जीवन रोज़ की संघर्षों से भरा था।

धोबी का जीवन

रामू हर सुबह सूर्योदय से पहले उठता। वह गंदे कपड़े इकट्ठा करने के लिए भोला पर लादकर उन घरों में जाता जहाँ लोग उसकी सेवाएँ लेते थे। उसकी दिनचर्या कुछ इस प्रकार थी: वह पहले कपड़े इकट्ठा करता, फिर उन कपड़ों को घाट पर ले जाकर धोता और आखिर में उन्हें सूखने के लिए लटकाता। यह प्रक्रिया कई घंटों तक चलती और फिर वह कपड़े वापस ग्राहकों तक पहुँचाता।

भोला भी वर्षों से रामू के साथ उस मेहनती जीवन में रह रहा था। वह धीरे-धीरे बूढ़ा हुआ और उसकी ताकत घटने लगी। एक समय था जब वह भारी कपड़ों को सहन कर सकता था , लेकिन समय ने उसके शरीर को कमजोर कर दिया था। अब वह अधिकतर कपड़ों का बोझ नहीं उठा पाता था।

एक चुनौतीपूर्ण दिन

एक दिन, दोपहर के समय, सूरज की गर्मी अपने चरम पर थी। रामू और भोला कपड़े धोने के लिए घाट की ओर बढ़ रहे थे। धूप इतनी कड़ी थी कि भोला और रामू दोनों ही थक गए थे। चलते-चलते भोला अचानक लड़खड़ाया और एक गहरे गड्ढे में गिर पड़ा। उसे गिरता देख रामू के दिल में चिंता की लहर दौड़ गई।

“भोला, तुम ठीक हो?” रामू ने बहुत चिंता से कहा। लेकिन भोला गड्ढे में गिरने के कारण चुप रहा। रामू तुरंत उसे बाहर निकालने की कोशिश करने लगा। उसने भोला को पकड़कर खींचा, लेकिन उसकी उम्र और कमजोरी के कारण वह सफल नहीं हो सका।

गाँव वालों की सहायता

गाँववालों ने रामू और भोला की आवाज़ सुनकर दौड़कर मदद के लिए आए। उन्होंने गधों को बाहर निकलने के लिए कई उपाय किए, लेकिन सभी प्रयास असफल रहे। गाँव के कुछ लोग भोला की ओर देखकर बोले, “रामू, यह गधा अब बहुत बूढ़ा है, इसे निकालने का कोई उपाय नहीं है। हमें इसे यहाँ मिट्टी डालकर दफन करना होगा।”

रामू ने थोड़ी देर सोचा और फिर उन्होंने सहमति दी। सभी गाँव वाले अब गड्ढे में मिट्टी डालने लगे। भोला ने देखा कि उसकी स्थिति गंभीर हो गई थी। वह समझने लगा कि उसके साथ क्या होने वाला है। इससे पहले कि वह समझ पाता, गाँववालों ने उसे मिट्टी डालना शुरू कर दिया।

भोला की चतुराई

गध को जैसे ही समझ में आया कि उसे मिट्टी के ढेर में दफन होने जा रहा है, वह दुखी हो गया और चिल्लाने लगा। लेकिन फिर कुछ पल बाद उसने खुद को संभाला। उसने जल्दी से सोचा कि वह क्या कर सकता है। गाँव वालों ने जब मिट्टी डालने की प्रक्रिया शुरू की, तो भोला ने चतुराई दिखाई।

जैसे ही गाँव वाले मिट्टी डालते, भोला अपने शरीर को झटके देकर उसे नीचे गिरा देता और खुद उस मिट्टी के ऊपर चढ़ जाता। वह लगातार अपनी बुद्धिमानी से अपने जीवन की रक्षा करने में लगा रहा। जबकि गाँव वाले हैरान रह गए थे, रामू ने यह दृश्य देखा और उसकी आँखों में आँसू आ गए।

गाँववालों ने भोला को अपनी चतुराई से बचते हुए देखा और रामू को विश्वास करने लगा कि उसका गधा सही में एक सोचने वाला जीव है। धीरे-धीरे, मिट्टी का स्तर बढ़ता गया, और भोला हर बार अधिक ऊँचाई पर पहुँचता गया।

इस घटना ने सभी गाँववालों को एक महत्वपूर्ण सबक दिया: कठिनाई चाहे कितनी भी गहरी क्यों न हो, अगर हम धैर्य, समझदारी और चतुराई से काम लें, तो हम किसी भी समस्या का मुकाबला कर सकते हैं।

सफलता का जश्न

आखिरकार, भोला ने एक समय में गड्ढे की दीवार पर चढ़कर बाहर की ओर झाँका। गाँववाले देखने लगे कि कैसे एक बूढ़ा गधा अपनी सूझबूझ से मुसीबत से बाहर निकल रहा है। रामू ने उसे बाहर निकलते वक्त फिर से गड्ढे के पास से आवाज़ दी, “भोला, तुम सही कर रहे हो! तुम हमारे लिए एक नायक हो!”

कहानी का अंत

इसके बाद, गाँव वालों ने भोला को बाहर निकालने का निर्णय लिया। उन्होंने एक-दूसरे की मदद की और भोला को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। तब से भोला गाँव का नायक बन गया। उसकी बुद्धिमानी और धैर्य ने सभी को प्रेरित किया।

रामू ने भोला को कसकर गले लगाते हुए कहा, “तुमने मुझे सिखा दिया कि जीवन में समस्याएँ आएंगी, लेकिन अगर हम धैर्य और चतुराई से काम लेते हैं, तो हम हर मुश्किल को पार कर सकते हैं।”

सीख

कठिनाइयाँ और समस्याएँ जीवन का एक हिस्सा हैं, लेकिन हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। जब भी हमें चुनौतियों का सामना करना हो, हमें अपने भीतर की शक्ति और बुद्धि पर विश्वास रखना चाहिए। Panchatantra से Budhiman Gadha भोला की कहानी हमें सिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में धैर्य और चतुराई से काम लेना हमेशा फायदेमंद होता है।

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