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सरस्वती माता का आशीर्वाद: बसंत पंचमी का महत्व || Basant Panchami Celebration

सरस्वती माता का आशीर्वाद: बसंत पंचमी का महत्व

Basant Panchami एक ऐसा समय है जब हम ऋतुराज का स्वागत करते हैं और सरस्वती माता की पूजा का आयोजन करते हैं। इस  ब्लॉग पोस्ट में हम जानेंगे इस खास मौके के बारे में सब कुछ।

बसंत पंचमी (Basant Panchami)का महत्व

इस पावन दिन , ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा विधिपूर्वक की जाती है। इस विशेष दिन से ही ऋतुराज बसंत का आगमन होता है, जो सभी ऋतुओं का राजा है। इस खास मौके पर मान्यता है कि देवी सरस्वती ने इसी दिन अपना आविर्भाव किया था। बसंत पंचमी पर सरस्वती माता की पूजा का आयोजन करने के लिए आपको कुछ धार्मिक और सामाजिक पहलुओं को ध्यान में रखना होगा। बसंत पंचमी के  40 दिनों बाद, होली का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है, इसी कारण बसंत पंचमी को होली के पर्व का आरम्भ मन जाता है ।

कैसे करें:

सरस्वती माता की मूर्ति के सामने बैठें अपने साथ विद्या की  पुस्तक, संगीत के वाद्य रखें एवं उन्हें हल्दी कुमकुम का टिका करके उन पर  फूलों को  अर्पण करें।

गुलाबी बसंत:

ऋतुराज का स्वागत  करने के कारण बसंत पंचमी को “गुलाबी बसंत” भी कहा जाता है क्योंकि इस समय प्रकृति गुलाबी रंग में खिल उठती है।

कैसे करें:

अपने घर को गुलाबी रंग से सजाएं। गुलाबी कपड़े पहने ।

पूजा विधि (Worship Rituals)

सरस्वती माता का पूजन

इस दिन  सरस्वती माता का विशेष पूजन करना चाहिए ताकि विद्या, कला, और संगीत के विषय  में आपको आशीर्वाद मिले।

पूजन कैसे करें:

सरस्वती माता को सजाकर किताबों  और संगीत उपकरणों के साथ उनकी पूजा करें। बसंत पंचमी पर हरियाली, पीला, और गुलाबी रंगों का आनंद लें।

बसंत पंचमी के उत्सव (Basant Panchami Celebration)

गुलाबी बसंत के त्योहार की धूमधाम बसंत पंचमी को खूबसूरत और रंगीन बनाने के लिए बड़ी धूमधाम से मनाएं।

कैसे करें:

आसमान में  पतंग उड़ाएं और बड़े समूहों में बसंती कविताएं सुनें। साहित्य और कला में विद्या  का आदान-प्रदान कर  इस दिन को साहित्य और कला के दिन के रूप में समर्पित करें, जिससे आपका आत्मिक और सांस्कृतिक विकास हो। कला प्रदर्शनी आयोजित करें या साहित्य सम्मेलन में भाग लें।

सरस्वती माता का स्मरण करते हुए संगीत कार्यक्रमों में भी शामिल हों। इस तरह, बसंत पंचमी का खास मौका धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि उत्साही और रंगीन रूप से मनाएं। यह त्योहार नए शुरुआतों की ओर एक कदम है, और हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं का मान समझाने का एक अद्भुत अवसर प्रदान करता है।

तिथि :

  • पंचमी तिथि  13 फरवरी को दोपहर 2 बजकर 41 मिनट से आरम्भ होकर ,
  • 14 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 9 मिनट पर समाप्त होगी ।

 

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