एक सुंदर बगीचे के बीच एक तालाब था, जिसे "सुखदायी तालाब" कहते थे। यहां कई जीव-जंतु रहते थे, लेकिन सबसे खास था एक कछुआ। 

कछुए के दो हंस दोस्त थे। वे घंटों बातचीत करते थे, अपनी बुद्धिमानी और दोस्ती को साझा करते। 

एक दिन, एक हंस ने कहा, "क्या हम हमेशा इसी तालाब के चारों ओर रहेंगे?" कछुआ मुस्कुराया और बोला, "हमें नए अनुभवों की तलाश में रहना चाहिए।" 

एक वर्ष बारिश नहीं हुई और तालाब का पानी धीरे-धीरे कम होने लगा। कछुआ और उसके दोस्तों की चिंता बढ़ गई। 

हंसों ने कछुए को बताया कि उन्होंने एक नया तालाब खोजा है। लेकिन वह तालाब 50 कोस दूर था! 

हंसों ने कहा, "हम तुम्हें लकड़ी के टुकड़े से लटकाकर ले चलेंगे, लेकिन तुम्हें मुंह बंद रखना होगा।" कछुआ ने वादा किया कि वह अपने मुंह को बंद रखेगा। 

जब कछुआ ने नगर में उड़ते हुए चिल्लाया, "देखो, मैं उड़ रहा हूँ!" उसने मुंह खोला और सीधे गिर पड़ा। उसकी चंचलता ने उसे खो दिया। 

सीख  सच्ची बुद्धिमानी तब होती है जब हम अपनी चंचलता और उत्सुकता पर काबू रख सकें।