shiva jyotirlinga

12 Sacred Jyotirlingas of Lord Shiva: Unlock Divine Blessings || भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग

भगवान शिव (Shiva) के 12 ज्योतिर्लिंगों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत गहरा है। ये ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के अलग-अलग रूपों की प्रतीक हैं और भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं। यहां इन ज्योतिर्लिंगों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जा रही है:

12 Jyotirlingas of Lord Shiva

1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Somnath Jyotirlinga)

Somnath baba
somnath.org

स्थान: सौराष्ट्र, गुजरात
महत्व: यह पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है और इसका उल्लेख पुराणों में भी है। कहा जाता है कि यहां चंद्र देव ने भगवान शिव की आराधना की थी और उन्हें शिव से वरदान प्राप्त हुआ। सोमनाथ मंदिर को कई बार मुस्लिम आक्रमणकारियों ने नष्ट किया, लेकिन हर बार इसे पुनर्निर्मित किया गया। यह मंदिर भारतीय कला और वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।

2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (Mallikarjun Jyotirlinga)

Mallikarjun temple
Wikipedia

स्थान: श्रीशैलम, आंध्र प्रदेश
महत्व: यह ज्योतिर्लिंग माल्केश्वर या मल्लिकार्जुन के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां भगवान शिव और माता पार्वती अपने पुत्रों कार्तिकेय और गणेश से मिलने के लिए आते हैं। यह मंदिर कृष्णा नदी के तट पर स्थित है और इसकी वास्तुकला अद्वितीय है। श्रीशैलम क्षेत्र एक प्रमुख तीर्थस्थल है।

3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग ( Mahakaaleshwar Jyotirlinga)

स्थान: उज्जैन, मध्य प्रदेश
महत्व: महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन में स्थित है और इसे भारत का सबसे पवित्र ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यहाँ भगवान शिव का रूप ‘महाकाल’ के रूप में पूजित होता है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणमुखी है, अर्थात यह दक्षिण की ओर मुख करके स्थित है। इस मंदिर में विशेष रूप से ‘भस्म आरती’ का आयोजन होता है।

4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar Jyotirlinga)

Omkareshwar Baba
shriomkareshwar.org

स्थान: मंधाता, मध्य प्रदेश
महत्व: नर्मदा नदी के द्वीप पर स्थित यह मंदिर ओंकारेश्वर और ममलेश्वर दोनों के रूप में जाना जाता है। यहाँ भगवान शिव ओंकार (प्रणव) के रूप में विराजमान हैं। इस मंदिर का महत्व ‘प्रणव मंत्र’ से जुड़ा है, जो कि “ॐ” है। नर्मदा नदी का पवित्र जल इस ज्योतिर्लिंग का विशेष आकर्षण है।

5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (Kedarnath Jyotirlinga)

Kedarnath baba
Shri Badarinath Kedarnath Temple Committee

स्थान: उत्तराखंड
महत्व: हिमालय की गोद में स्थित यह ज्योतिर्लिंग बहुत ही पवित्र और तीर्थयात्रियों के लिए महत्वपूर्ण है। यहाँ तक पहुँचने के लिए कठिन यात्रा करनी पड़ती है, जो कि आध्यात्मिक अनुभव को और भी बढ़ा देती है। यहाँ भगवान शिव का स्वरूप ‘केदार’ के नाम से जाना जाता है। केदारनाथ मंदिर समुद्र तल से 3583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (Bheemashankar Jyotirlinga)

स्थान: महाराष्ट्र
महत्व: पुणे के पास स्थित यह ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर नामक शिवलिंग के रूप में प्रतिष्ठित है। यहाँ की मान्यता है कि भीम नामक राक्षस का वध कर भगवान शिव यहाँ विराजमान हुए थे। भीमाशंकर मंदिर सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में स्थित है, जो इसे एक खूबसूरत प्राकृतिक स्थान बनाता है। यहाँ से भीमा नदी का उद्गम होता है।

7. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (Kahi Vishwanath Jyotirlinga)

Shri Kashi Vishwanath Shiva temple
varanasi.nic.in

स्थान: वाराणसी, उत्तर प्रदेश
महत्व: वाराणसी को भगवान शिव की नगरी माना जाता है और यहाँ स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर अत्यधिक पवित्र है। यहाँ भगवान शिव को ‘विश्वनाथ’ या ‘विश्वेश्वर’ के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि इस स्थान पर मृत्यु को प्राप्त व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। काशी विश्वनाथ मंदिर का संबंध आदि शंकराचार्य से भी है, जिन्होंने इस मंदिर की पुनः स्थापना की थी। यह स्थान गंगा नदी के किनारे स्थित है और यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं।

8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Trimbakeshwar Jyotirlinga)

स्थान: नासिक, महाराष्ट्र
महत्व: त्र्यंबकेश्वर मंदिर में स्थित ज्योतिर्लिंग तीन मुख वाला है, जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक है। यहाँ गोदावरी नदी का उद्गम भी माना जाता है, जो इसे और भी पवित्र बनाता है। यह स्थान कुंभ मेले के लिए भी प्रसिद्ध है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर की वास्तुकला भी अद्वितीय है और यह नासिक के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है।

9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Baidyanath Jyotirlinga)

स्थान: देवघर, झारखंड
महत्व: इसे वैद्यनाथ या बैजनाथ के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि यहाँ भगवान शिव ने रावण को वरदान दिया था और वे वैद्य (चिकित्सक) के रूप में प्रकट हुए थे। यहाँ श्रद्धालु अपने रोगों से मुक्ति की कामना करते हैं। देवघर को ‘बैद्यनाथ धाम’ के नाम से भी जाना जाता है और यहाँ हर साल श्रावणी मेला आयोजित होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं।

10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Nageshwar Jyotirlinga)

स्थान: द्वारका, गुजरात
महत्व: नागेश्वर ज्योतिर्लिंग द्वारका के पास स्थित है और इसे ‘द्वारकाधीश नागेश्वर’ के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ भगवान शिव नागों के देवता के रूप में विराजमान हैं। यह ज्योतिर्लिंग शिव और विष के बीच के संबंध का प्रतीक है। यहाँ का मंदिर विशाल और आकर्षक है, और इसके प्रांगण में भगवान शिव की विशाल मूर्ति स्थापित है।

11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग  (Rameswaram Jyotirlinga)

Rameswaram Shiva Temple
tamilnadutourism

स्थान: तमिलनाडु
महत्व: रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का संबंध भगवान राम से है। मान्यता है कि भगवान राम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले यहाँ शिवलिंग स्थापित किया था। यह मंदिर भारत के चार धामों में से एक है और इसका समुद्र के किनारे स्थित होना इसे और भी विशेष बनाता है। यहाँ के पानी को पवित्र माना जाता है और इसे विभिन्न तीर्थों से लाया गया है।

12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग ( Ghrishneshwar Jyotirlinga)

स्थान: औरंगाबाद, महाराष्ट्र
महत्व: यह Jyotirlinga एलोरा गुफाओं के पास स्थित है और इसे ‘घृष्णेश्वर’ या ‘धूषणेश्वर’ के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ भगवान शिव अपने भक्त घृष्णा के तप से प्रसन्न होकर प्रकट हुए थे। इस मंदिर की वास्तुकला और शिल्पकला अद्वितीय है। घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से अंतिम है।

इन सभी ज्योतिर्लिंगों का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है और ये तीर्थयात्रियों के लिए आस्था का केंद्र बने हुए हैं। हिंदू धर्म में भगवान शिव के इन ज्योतिर्लिंगों की पूजा अर्चना से भक्तजन मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्राप्त करते हैं। धार्मिक यात्रा के रूप में इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन से आत्मा की शांति और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इन स्थलों की यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और इतिहास को भी दर्शाती है।

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