shakti peeth

देवी सती के 11 शक्ति पीठ || Devi Sati ke 11 Shakti Peeth : Power Centers of Indian Culture and Faith || Shakti Peeth

Shakti Peeth : भारतीय संस्कृति और आस्था के दिव्य केंद्र

परिचय

Shakti Peeth भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित वह पवित्र स्थल हैं, जहां देवी सती के शरीर के अंग, आभूषण या धातु के टुकड़े गिरे थे। यह स्थल हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं और भक्तों के लिए विशेष आस्था और श्रद्धा का केंद्र होते हैं। ये स्थान देवी शक्ति की महिमा और उनकी उपस्थिति का प्रतीक माने जाते हैं। इस लेख में हम शक्ति पीठों के पौराणिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे।

शक्ति पीठ (Shakti Peeth) की पौराणिक कथा

शक्ति पीठों की उत्पत्ति का संबंध शिव और सती की कथा से है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सती ने अपने पिता राजा दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में अपने पति भगवान शिव का अपमान होते देखा और इस अपमान को सहन न कर सकी। उन्होंने यज्ञ कुंड में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। यह देखकर भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हो गए और सती के शव को अपने कंधों पर उठाकर तांडव नृत्य करने लगे। इस विनाशकारी तांडव को रोकने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के टुकड़े कर दिए। जहां-जहां ये टुकड़े गिरे, वहां-वहां शक्ति पीठों (Shakti peeth) का निर्माण हुआ।

शक्ति पीठों का भौगोलिक वितरण

शक्ति पीठों का वितरण भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में है। यह स्थल भारत के अलावा नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका में भी स्थित हैं। कुल मिलाकर 51 शक्ति पीठों की मान्यता है। यहां कुछ प्रमुख शक्ति पीठों का वर्णन किया जा रहा है:

शक्ति पीठ (Shakti peeth) केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं। यहां विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम और उत्सव होते हैं। ये स्थल भारतीय संस्कृति और परंपराओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। शक्ति पीठों पर आयोजित होने वाले उत्सव और मेले भारतीय समाज की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करते हैं।

शक्ति पीठों का ऐतिहासिक महत्व

शक्ति पीठों (Shakti Peeth) का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। इन स्थलों का उल्लेख विभिन्न पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। ये स्थल भारतीय इतिहास और पौराणिक कथाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। शक्ति पीठों का निर्माण और उनके विकास का इतिहास भारतीय वास्तुकला और मूर्तिकला का भी अहम हिस्सा है।

शक्ति पीठों (Shakti Peeth) की यात्रा

शक्ति पीठों (Shakti peeth) की यात्रा एक महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा मानी जाती है। भक्तों का विश्वास है कि इन स्थलों की यात्रा करने से उन्हें देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह यात्रा धार्मिक दृष्टिकोण के साथ-साथ सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। शक्ति पीठों की यात्रा भारतीय समाज में एकता और समरसता का प्रतीक भी है।

प्रमुख शक्ति पीठ

1. कामाख्या देवी, असम

कामाख्या देवी मंदिर असम के गुवाहाटी में नीलांचल पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर तांत्रिक पूजा और साधना के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ देवी सती का योनि भाग गिरा था, जिसे ‘योनि मंडल’ कहा जाता है। यहाँ विशेष रूप से अंबुबाची मेला आयोजित होता है, जो जून महीने में होता है और इस दौरान देवी का मासिक धर्म मनाया जाता है।

2. वैष्णो देवी, जम्मू और कश्मीर

वैष्णो देवी का मंदिर त्रिकुटा पहाड़ियों पर कटरा से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह तीर्थस्थल देवी महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली के त्रिगुणात्मक स्वरूप को समर्पित है। यहां तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को पैदल यात्रा करनी होती है, जो कठिनाई के बावजूद भक्तिभाव से भरी होती है। मां वैष्णो देवी की पौराणिक कथा के अनुसार, देवी दुर्गा ने त्रिकुटा नाम की एक कन्या के रूप में जन्म लिया था।

उन्होंने भगवान विष्णु के प्रति अत्यधिक भक्ति भाव से तपस्या की। उनके तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि वे उनके रूप में पूजित होंगी। कहा जाता है कि देवी ने भैरवनाथ नामक राक्षस का वध करने के लिए इस स्थान को चुना था, और वध के बाद भैरवनाथ को मोक्ष दिया था। 

3. महाकाली देवी, उज्जैन, मध्य प्रदेश

महाकाली देवी का मंदिर उज्जैन में हरसिद्धि मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के निकट स्थित है। यहाँ देवी सती का ऊर्ध्व शरीर भाग गिरा था। यह मंदिर तंत्र साधना के लिए भी प्रसिद्ध है।

4. सती देवी, पटना, बिहार

यह शक्ति पीठ पटना के निकट स्थित है और इसे पटनेश्वरी देवी मंदिर भी कहा जाता है। यहाँ देवी सती का दाहिना जांघ गिरा था। यह स्थल देवी सती के भव्य रूप को दर्शाता है और यहाँ हर साल हजारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं।

5. अंबाजी देवी, गुजरात

अंबाजी मंदिर गुजरात के बनासकांठा जिले में अरासुर पहाड़ियों में स्थित है। यह मंदिर (Shakti peeth) देवी अंबाजी को समर्पित है, जिनका हृदय यहाँ गिरा था। अंबाजी का यह मंदिर बहुत प्राचीन है और यहाँ नवरात्रि के दौरान विशेष पूजा और मेले का आयोजन होता है।

6. कामाख्या देवी, पश्चिम बंगाल

यह Shakti peeth पश्चिम बंगाल के बर्दवान जिले में स्थित है। यहाँ देवी सती का वाम नेत्र गिरा था। यह स्थान भी तांत्रिक साधना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

7. जयन्ती देवी, हिमाचल प्रदेश

जयन्ती देवी का मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित है। यह मंदिर सुंदर और शांत वातावरण में स्थित है और यहाँ देवी का बायाँ कंधा गिरा था।

8. भद्रकाली मंदिर, हरियाणा

भद्रकाली मंदिर हरियाणा के कुरुक्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर भी शक्ति उपासकों के लिए महत्वपूर्ण है और यहाँ देवी का बायाँ टखना गिरा था। यहाँ हर साल विशेष मेले का आयोजन होता है।

9. मंगलचंडी मंदिर, बंगाल

यह Shakti peeth बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में स्थित है। यहाँ देवी सती का दायाँ कलाई गिरा था। इस मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है और यहाँ हर साल विशेष पूजा आयोजित की जाती है।

10. मनसा देवी, हरिद्वार, उत्तराखंड

मनसा देवी मंदिर हरिद्वार में स्थित है और यह शिवालिक पहाड़ियों पर स्थित है। यहाँ देवी सती का मस्तक गिरा था। यह मंदिर उत्तराखंड के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है और यहाँ कांवड़ यात्रा के दौरान लाखों श्रद्धालु आते हैं।

11. कांची कामाक्षी, कांचीपुरम, तमिलनाडु

कांची कामाक्षी मंदिर तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित है। यहाँ देवी का नाभि गिरा था। यह मंदिर दक्षिण भारत के सबसे महत्वपूर्ण शक्ति पीठों में से एक है और यहाँ प्रतिवर्ष विशेष त्योहारों और आयोजनों का आयोजन किया जाता है।

इन सभी शक्ति पीठों का धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है और ये स्थल पूरे भारत में भक्तों की आस्था और विश्वास के केंद्र बने हुए हैं।

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